"हम एक-दूसरे के ऊपर सोते थे" — रवि किशन ने सुनाए बचपन के दर्द भरे किस्से, कहा- 'पिता का उड़ता था मजाक, एक छोटे से कमरे में रहते थे 12 लोग'
भोजपुरी सिनेमा, टीवी और बॉलीवुड में अपनी खास पहचान बना चुके रवि किशन आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। लेकिन यह मुकाम उन्होंने संघर्षों की लंबी सीढ़ियां चढ़कर हासिल किया है। हाल ही में एक पॉडकास्ट में उन्होंने अपने कठिन बचपन और गरीबी के दौर की कुछ अनसुनी बातें साझा कीं, जो सुनकर कोई भी प्रेरित हो सकता है।
जब अभिनय का सफर शुरू किया, जेब में कुछ नहीं था
राज शमानी के पॉडकास्ट में रवि किशन ने अपनी फिल्मी यात्रा पर रोशनी डालते हुए कहा,
"लोग मुझे सालों से टीवी पर, स्टेज पर और अलग-अलग भाषाओं की फिल्मों में देखते आ रहे हैं। मैंने करीब 750 फिल्मों में काम किया है — यह संख्या छोटी नहीं है। मैं इसे महादेव का आशीर्वाद मानता हूं कि लोग मुझे हर जगह पहचानते हैं, मेरी आवाज सुनते हैं।"
उनका यह सफर बिना साधनों के शुरू हुआ था। उन्होंने बिना किसी गॉडफादर के इंडस्ट्री में जगह बनाई और सालों की मेहनत और आत्मविश्वास से खुद को साबित किया।
गरीबी के दिन: 10x12 के कमरे में 12 लोगों की जिंदगी
अपने शुरुआती दिनों की बात करते हुए रवि किशन भावुक हो गए। उन्होंने कहा,
"मैंने वो गरीबी देखी है जिसे बर्दाश्त करना भी मुश्किल था। एक वक्त ऐसा था जब हम 12 लोग एक साथ एक ही खिचड़ी खाते थे — जिसमें थोड़े से चावल होते थे और बाकी सिर्फ पानी। हमारा कमरा सिर्फ 10×12 का था, जिसमें सोने तक की जगह नहीं होती थी, कई बार हम एक-दूसरे के ऊपर सोते थे।"
उन्होंने बताया कि टॉयलेट भी घर के बाहर था और घर की हालत इतनी खराब थी कि वो अपने पिता पर किए जाने वाले मजाकों से दुखी रहते थे। उन्होंने ठान लिया था कि इस स्थिति को हमेशा के लिए बदलना है।
जातिवाद पर रवि किशन का साफ जवाब
जब उनसे पूछा गया कि क्या जातिवाद ने उनकी तरक्की में कोई रुकावट डाली, तो रवि किशन ने साफ शब्दों में कहा,
"अगर मैं किसी और जाति का भी होता, तब भी मैं रवि किशन ही बनता। क्योंकि मेरे साथ भगवान शिव का आशीर्वाद था। मैंने अपने मन में ठान लिया था कि मैं गुमनाम नहीं मरूंगा। नाम ज़रूरी है, पैसा अपने आप आ जाएगा।"
उनकी यह सोच बताती है कि इंसान की असली पहचान उसके काम से बनती है, न कि उसकी जाति से।
सफलता का मंत्र: मुफ्त में मिलने वाली सबसे बड़ी दौलत — मेहनत
अपने कामयाबी के सीक्रेट को बताते हुए उन्होंने बड़ी सादगी से कहा,
"जिम जाओ — नहीं जा सकते तो सड़क पर दौड़ो। कम से कम 3 से 5 किलोमीटर रोज़ दौड़ लगाओ। 200 पुशअप मारो। रात को चना भिगोकर रखो और सुबह उसका पानी पीकर चना खाओ। ये सब चीजें सरकार भी फ्री देती है। सूरज को उगते देखो — ये आपकी सोच बदल देगा, आपकी ज़िंदगी बदल देगा।"
रवि किशन की ये बातें उनके ज़मीन से जुड़े होने का सबूत हैं। वह आज भी उसी अनुशासन और साधनों से भरी दुनिया की वकालत करते हैं, जहां से उन्होंने शुरुआत की थी।
---
अगली फिल्म: 'सन ऑफ सरदार 2
बहुप्रतीक्षित फिल्म 'सन ऑफ सरदार 2' में रवि किशन अजय देवगन और मृणाल ठाकुर के साथ स्क्रीन शेयर करते नज़र आएंगे। ये फिल्म आने वाले समय में एक बड़ी हिट साबित हो सकती है।
निष्कर्ष:
रवि किशन की कहानी सिर्फ एक अभिनेता की सफलता की नहीं, बल्कि लाखों युवाओं के लिए एक जीवंत प्रेरणा है। उन्होंने यह दिखा दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी मजबूरी आपको आपकी मंज़िल तक पहुंचने से नहीं रोक सकती।